कविता

हमसफर

सुनो!
मेरे हमसफर
दिल की बात कहना है तुमसे
मैं तो शून्य थी
इस दुनियां से अनभिज्ञ थी
तुमसे जुड़कर तुम्हे पाकर
बनी मेरी इक पहचान
जीवन के इस डगर पे
थामा जो तुमने कसकर हांथ
गिरते-गिरते संभल गई
हर मुश्किल-बाधा हो गई पार
एक तेरा साथ
जीवन को दिया निखार
स्वार्थ से परे प्यार तुम्हारा
हुआ मुझपर बलिहार
दिया मान-सम्मान तुमने
और खुलकर जीने का
स्वयंसिद्ध अधिकार
इन सब के लिए क्या कहूं तुमसे
बस इतना ही… लव यु जान।

*बबली सिन्हा

गाज़ियाबाद (यूपी) मोबाइल- 9013965625, 9868103295 ईमेल- [email protected]