21.चिड़िया
(बाल काव्य सुमन संग्रह से)
चिड़िया उड़ती फुर्र-फुर्र-फुर्र-फुर्र,
नील गगन तक जाती है,
चीं-चीं चूं-चूं गीत सुहाना,
बड़े प्यार से गाती है.
अपने छोटे बच्चों को वह,
खुद उड़ना सिखलाती है,
बड़े प्यार से चुग्गा-दाना,
लाकर उन्हें खिलाती है.
(बाल काव्य सुमन संग्रह से)
चिड़िया उड़ती फुर्र-फुर्र-फुर्र-फुर्र,
नील गगन तक जाती है,
चीं-चीं चूं-चूं गीत सुहाना,
बड़े प्यार से गाती है.
अपने छोटे बच्चों को वह,
खुद उड़ना सिखलाती है,
बड़े प्यार से चुग्गा-दाना,
लाकर उन्हें खिलाती है.