22.चौराहे की बत्तियां
(बाल काव्य सुमन संग्रह से)
‘ठहरो’ कहती बत्ती लाल,
कर लो थोड़ा-सा आराम,
पीली कहती ‘हो तैयार’
कर लो अपने को होशियार.
हरी घास-सी बत्ती कहती,
‘अब चल दो और पहुंचो पार,
चलना प्यारो संभल-संभलकर,
टकरें न वाहन दो-चार.
(बाल काव्य सुमन संग्रह से)
‘ठहरो’ कहती बत्ती लाल,
कर लो थोड़ा-सा आराम,
पीली कहती ‘हो तैयार’
कर लो अपने को होशियार.
हरी घास-सी बत्ती कहती,
‘अब चल दो और पहुंचो पार,
चलना प्यारो संभल-संभलकर,
टकरें न वाहन दो-चार.