‘म’ मछली, जल में रहती है,
जल में ही ले सकती सांस,
लेकिन कभी न पानी पीती,
बुझा न पाए अपनी प्यास.
हाथ लगाओ तो डर जाती,
बाह्र निकालो तो मर जाती,
पानी में पैदा होती है,
पानी से ही प्रेम निभाती.
लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं।
लीला तिवानी
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