कविता

उसे गुरूर है

उसे गुरूर है अपने चेहरे की मासूमियत पर
उसने मेरी आँखों की गहराई नहीं देखी।
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जिनका हर इक आंसू मैंने मोती की तरह संभाल रखा था,
उनसे गुजारिश है मुझे मेरी मुस्कान लौट दे।
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जो शख्स प्यार करता है,वो याद नही आता
वो ही याद आता है, जो प्यार नहीं करता।
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एक आरज़ू, एक तलाश एक ही इंतजार है
कभी वो भी कहे, मुझे तुमसे प्यार है।
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ज़रा सी याद क्या आती है तुम्हारी जुल्फ़े
बादलों को अपना रंग फीका लगता है।
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तन्हाई और ये बैरी इंतजार,
न ख़ुद ख़त्म होंगे न मुझे ख़त्म होने देंगे।
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बस ये ही सोचकर छू ली हमने बारिश की बूंदें
उन्हें भी यो भिगोया होगा इस बारिश ने कहीं न कहीं।

विनोद दवे

नाम = विनोदकुमारदवे परिचय = एक कविता संग्रह 'अच्छे दिनों के इंतज़ार में' सृजनलोक प्रकाशन से प्रकाशित। अध्यापन के क्षेत्र में कार्यरत। विनोद कुमार दवे 206 बड़ी ब्रह्मपुरी मुकाम पोस्ट=भाटून्द तहसील =बाली जिला= पाली राजस्थान 306707 मोबाइल=9166280718 ईमेल = [email protected]