39.सबसे प्यारी मां
(बाल काव्य सुमन संग्रह से)
माता मेरी सबसे प्यारी,
सारे जग से है वह न्यारी,
दुनिया में प्यारी मां जैसा,
कोई नहीं होता उपकारी.
कई देवता मना-मनाकर,
मां बालक को पाती है,
आंख की पुतली से भी ज़्यादा,
उस पर प्यार लुटाती है.
खुद खाए या नहीं, कभी भी,
उसे न भूखा रखती है,
उसको अमृत दे पाने की,
हरदम इच्छा रखती है.
बच्चे की छोटी-सी इच्छा,
बड़ा समझ पूरा करती,
अपनी पर्वत-सी इच्छा को,
उस पर न्योछावर करती.
मां की सेवा से हम अपने,
मन को तृप्त बनाएंगे,
माता की पावन धूलि से,
भू पर स्वर्ग सजाएंगे.
यही संदेश है ‘मातृ-दिवस’ का,
मां को भूल नहीं जाना,
मां की आशीष की छाया में,
पल-पल निर्भय बढ़ते जाना.