कविता

“फूलों हो या तुम”

 

फूलों पर सो रही हूँ
तुम्हारा सीना समझकर

फूलों की डाली पर झूल रही
तुम्हारा कंधा समझकर

फूलों को सहला रही
तुम्हारे बाल समझ कर

फूलों को चूम रही
तुम्हारे लब समझकर

फूलों को लिपट रही
तुम्हारी बाहें समझकर

फूलों को प्यार कर रही
तुम समझकर

पर जैसे ही काँटे चुभते
हाथों को
तो मुझे भान होता
ये तुम नहीं !

एक मुझे तुमसे
दुजा इन फूलों से इश्क़ है
इसलिए जब भी तुम्हारी याद सताती है
मैं इन फूलों को प्यार करती हूँ!
~ कुमारी अर्चना

कुमारी अर्चना

कुमारी अर्चना वर्तमान मे राजनीतिक शास्त्र मे शोधार्थी एव साहित्य लेखन जारी ! विभिन्न पत्र - पत्रिकाओ मे साहित्य लेखन जिला-हरिश्चन्द्रपुर, वार्ड नं०-02,जलालगढ़ पूर्णियाँ,बिहार, पिन कोड-854301 मो.ना०- 8227000844 ईमेल - [email protected]