गीतिका/ग़ज़ल

बोलते हैं झूठ लेकिन सच बताते हैं सभी

बोलते हैं झूठ लेकिन सच बताते हैं सभी
सच यही है झूठ के गुणगान गाते हैं सभी

जानता हूँ बोलता हूँ बोल कुछ कडवे मगर
सत्य कहता हूँ तभी तो तिलमिलाते हैं सभी

झूठ कहते हैं किसी के दर्द में हँसते नहीं
दर्द दुश्मन को अगर हो मुस्कुराते हैं सभी

गैर की मजबूरियाँ लगती नही मजबूरियाँ
वक्त जब खुद पर पडे तो गिडगिडाते हैं सभी

बात को कमजोर की सुनता नही कोई मगर
बात पर दरबारियों की सर हिलाते हैं सभी

इश्क तो छुपता नही है यत्न जितने कीजिये
इश्क होता है तो अक्सर मुस्कुराते हैं सभी

जानता हूँ बढ गया है आपका कद आजकल
याद रखिये अंत में शमशान जाते हैं सभी

सतीश बंसल
३१.०३.२०१७

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.