कविता

// मैं भी…//

मैं मनुष्य हूँ
मेरा भी जीवन है
मानवता का है विचार मेरा
अच्छे समाज की परिकल्पना में
आगे बढ़ना मैं अपना धर्म मानकर
कदम-कदम बढ़ाता हूँ
साहित्य के साथ नये विचारों को लेकर
अनंत आकाश में मैं चलता हूँ
मेरे अंदर की सुलगाती आग
वह धर्म की दिविटी है
विशाल भव सागर में
मैं भी एक नाविक हूँ
हंसते-रोते जीवन में
मेरी हर पंक्ति का
अपना अलग अर्थ ढूँढ़ने का
प्रयास मैं करता हूँ ।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।