गज़ल
दीवानों की दुनिया की ये कैसी रवायत है,
उनसे ही मुहब्बत है उनसे ही शिकायत है,
दोनों सूरतों में चैन ना आए मेरे दिल को,
वो आएं तो हंगामा ना आएं कयामत है,
मुझे मालूम है तुम साथ मेरे चल नहीं सकते,
मिल जाते हो राहों में इतनी ही गनीमत है,
बड़ी तकलीफ देते हैं नाज़-ओ-अंदाज़ ये तेरे,
अपनों पर सितमगारी गैरों पर इनायत है,
तेरे चाहने वाले बहुत होंगे यहां लेकिन,
दिल लेकर मुकर जाना कैसी पर शराफत है,
बिना तेरे भी यूँ तो ज़िंदगी कट जाएगी अपनी,
हमारा दिल ना संभलेगा मगर ये भी हकीकत है,
आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।