रोटी की आस….
राजनीति के गलियारे में,
नेता जी का पालना
झूल रहे है ठाठ से,
प्रजातंत्र के राजनेता
बिलख रही है भूख से,
गरीब जनता की आत्मा
मंत्री जी के डाइनिंग टेबल पर,
भिनकता झूठा खाना
रोटी पाने की ललक में,
गरीब पेट पर बाँधे कपड़ा,
खाली पेट धसी अतरी है
फिरभी मंत्री जी का भाषण सुनती
भूखी, नंगी, गरीब, जनता
मन में लगी है उनके आस प्रबल
होगा अब हर कष्ट हरण
नेताजी देते मंच से… आश्वासन
मिलेगा हर गरीब को राशन
लम्बा चौड़ा भाषण में कहते
जनता को जनार्धन कहते
कहते, सुनो…..
भाई बंधू मेरे ध्यान से…..
तुमको है रोटी की भूख
हम करते वोटो की चीख
तुम्हे पेट की जलन मिटाना है
हमें अपनी कुर्सी बचाना है
देता हूं मैं आज वचन!
करूँगा! रोटी संग शिक्षा का प्रबंध
बस, भारी वोटों से विजय बनाना है
एकबार फिर से तुम्हे
मुझे अपना नेता चुनना है।