गौ माता
गलियों में भटके चारे को,
कूड़ा – कचरा सब खाए !
कहलाती थी गौमाता कभी,
अब दुत्कारी है जाए !!
करदे देना जब दुग्ध बँद ,
सड़कों पर छोड़ी जाए !
वेदों में थी जो पूज्य कभी,
अब लाठी से हांकी जाए !!
दूध, पनीर, दही, मक्खन,
सब बड़े चाव से खाएँ !
गोबर, उपले इत्यादि सब,
घर/ खेतों में काम हैं आएँ !!
नियति देखो गौ-धन का,
अब होता है निर्यात !
काट रहे भक्षक बन के,
जो कहते थे इसे मात !!
अंजु गुप्ता