अगर मेरी वफाओं में मिलावट आ गयी होती
अगर मेरी वफाओं में मिलावट आ गयी होती
यक़ीनन मेरी फ़ितरत में बनावट आ गयी होती
कभी देखा जो होता आपने मेरी तरफ हँसकर
मेरे सूखे जिगर में कुछ तरावट आ गयी होती
गिले शिकवे मसाइल सब भुलाकर हम मिले होते
तो फिर चाहत के रिश्तों में कसावट आ गयी होती
अगर महसूस करते आप हालाते-मुहब्बत को
जहां की नफ़रतों में भी गिरावट आ गयी होती
मुझे मंज़िल नहीं मिलती कभी रस्ते नहीं खुलते
अगर ज़ज़्बात में मेरे थकावट आ गयी होती
मेरे हिस्से नहीं होती अगर ये आपकी यादें
यक़ीनन ज़िंदगानी में रुकावट आ गयी होती
— माही/जयपुर (8511037804)
20 अप्रैल, 2017