गीत : अजब हो रही है गज़ब हो रही है
अजब हो रही है गज़ब हो रही है
देखूँ तुझे तो गज़ल हो रही है
तेरा यूँ लटोँ को लपकना झटकना
मेरा यूँ तेरे पीछे दर –दर भटकना
हसना लजाना लपकना झपकना
तेरा मुझसे आकर जरा सा चिपकना
ये दुनिया को कैसी जलन हो रही है
अजब हो रही …..
कि देखो भ्रमर आके बैठा जहाँ पर
समझ फूल सुन यूँ तेरी नासिका पर
उछलके वो तेरी अजब बौखलाहट
तुझे छेडती वो मेरी मुस्कुराहट
फिर दोनोँ का हँसना ,वो मस्ती का झरना
मोह्ब्बत कि कैसी तपन हो रही है
अजब हो रही है….
मोहल्ले मेँ दोनोँ का छुप – छुप के मिलना
कभी मिल्क डेरी का छीना झपटना
तेरा रूस जाना मेरा यूँ मनाना
दिलोँ ही दिलोँ मेँ मचल मुस्कुराना
ये पडोसी को कैसी जलन हो रही है
अजब हो रही है…गज़ब हो रही है
— विनय भारत