हास्य व्यंग्य

हास्य-व्यंग्य : पत्नी

ससुराल किसी भी व्यक्ति के जीवन की वे खूबसूरत राजधानी है,जहाँ से वे व्याह के पत्नी जैसी–फायदेमन्द और डाॅबर च्यवनप्राश की तरह विश्वसनीय जीवनसंगिनी लाने का अलौकिक गौरव प्राप्त करता है।
ये वही महान महिला है जो पुरुष या पति को वैवाहिक जीवन के उन तमाम मूल कर्तव्यो का अक्षरशः पालन करवाती है।जो बीते वर्षो मे कभी भी माँ के कार्यकाल मे किसी भी पुरुष ने किये नही होते।
मुझमे खुद तमाम परिवर्तन आ गये है पहले जब घर के शीशे मे खुद को देखता था तो यही चेहरा”किसी डायजापाम के नशेड़ी की तरह दिखता था लेकिन अब जबसे इस पत्नी थिरैपी और योग का सेवन किया है-काबुल के चने की तरह खिल गया हूँ”।
बापु ब्याह से पहले झिड़क कर गधा कहा करते थे तब बुरा लगता था, क्योंकि शुरुवाती रुझान मे मुझे अक्सर लगा करता था कि–मेरे अंदर एक गधा नही बल्कि”बीना पत्नी का प्यार पाया घोड़ा बंधा है जिसे मेरे खुसट बापु समझ नही पा रहे थे”।
आज हालात बदल गये है”मेरी लग्जरी पत्नी ने”–इस बजाज के खत्म हो गये स्कूटर माॅडल को इतना बदल दिया है कि कुछ कहते लाज आ रही है,
पहले मै सोलह-सत्रह किक मे स्टार्ट होता था और आज आलम ये है कि उसके”मेकपग्रस्त,लोहिया और गोमती रिवर फ्रंट की तरह खूबसूरत चेहरे को देखता हूं तो सेल्फ स्टार्ट को भी मात करता सा एक नया माॅडल लगता हूँ”।
ब्याह से पहले तो मुझे कुछ अंग्रेज़ी के रोमांटिक शब्दो की दुर-दुर तलक जानकारी नही थी”यहाँ तलक की मुझे आई ला ब्यू जैसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फेमस शब्द का भी अर्थ मालूम न था लेकिन पत्नी के आगमन से इस भाषा की श्रीवृद्धि हुई” अब तो तमाम मौको पे मै भी लगे हाथ अपनी पत्नी से कुछ अंग्रेज़ी के शब्दो का इस्तेमाल कर चुहलबाजी कर लेता हूं।
आज इन्हिं सब हालातो और पत्नी प्यार के नाते अपने शयनकक्ष बेडरुम मे उसके श्रृंगारदान के बगल में एक डिब्बे मे बंद कर रंखे”ससुराल की मिट्टी को मै बीना किसी नागे के प्रतिदिन अपने वैवाहिक ललाट पे किसी चंदन की तरह लगाता हूं और खुद को धन्य महसूस करता हूं”।मेरा ये लेख एैसे तमाम पती-पत्नियो के गालिबी प्रेम के रुबाई की तरह है।

— रंगनाथ द्विवेदी

रंगनाथ दुबे

जन्मदिन-10-7-1982 शिक्षा----एम.ए.,डि.एच.एल.एस. संम्प्रति----इटीनरेंट टीचर समेकित शिक्षा। प्रकाशन----अमर उजाला,अपने यहाँ के विथिका कालम से दैनिक जागरण में रचनाये व व्यंग्य लेख का प्रकाशन,सच का हौसला,तरुणमित्र,देश की उपासना,व करुणावती साहित्य धारा के अलावे अन्य पत्र-पत्रिकाओ से रचनाओ का प्रकाशन। mo.no.----7800824758 ईमेल एड्रेस[email protected]