#गजल 212 212 1222
तुझ पे दिल हारकर दिखाना है।
नाम लब पर तेरा सजाना है ।
मेरे सागर नदी बनूं तेरी ।
सिलसिला बस यही निभाना है ।
गम मिले या मिले ख़ुशी अब तो।
साथ जीवन तेरे बिताना है।
जिंदगी बिन तेरे अधूरी सी ।
हर कदम साथ ही बढ़ाना है।
दूर सबसे नजर छुपाकर के।
आशियां प्यार का बनाना है।
मीत समझो जरा इशारा भी ।
दूर तुमसे न हमको जाना है ।
लव खुले जब कभी भी मेरे तो ।
तेरी चाहत का बस तराना है ।
फैसला तुझपे दिल की कश्ती का ।
पार करना है या डुबाना है ।
इश्क “अनहद” हदों में क्यूँ बाँधे ।
कितना जालिम हुआ जमाना है ।
……अनहद गुंजन गीतिका