गज़ल
कुछ इस तरह तेरी चाहत ने बेकरार किया,
आईना देखा भी तो तेरा ही दीदार किया,
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इस दीवानगी ने छीन लिए होश मेरे,
मुहब्बत ने हमें रूसवा सरे-बाज़ार किया,
करना था तो नज़र मिलने से पहले करते,
अब किया भी तो क्या खाक होशियार किया,
तुम्हें ना आना था ना आए तुम कभी मिलने,
तमाम उम्र फिर भी हमने इंतज़ार किया,
तुमको अपना बनाने की बहुत कोशिश की,
कुछ ना हो सका तो सब्र अख्तियार किया,
ज़ुबां भी साथ दे सकी ना दिल का आखिर तक,
जो लफ्ज़ कम पड़े तो अश्कों से इज़हार किया,
आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।