गीत/नवगीत

गीत- चलो वहाँ तक साथ निभायें

चलो वहाँ तक साथ निभायें.
चलो वहाँ तक साथ निभायें.

जहाँ अमा की रात न आये,
जहाँ न सूरज तपे-तपाये.
जहाँ न चिन्ता रहे बाढ़ की,
जहाँ न सूखा कभी सताये.
जहाँ तितलियाँ-भौंरे गायें.
जहाँ बहारें खिलें-खिलायें.
चलो वहाँ तक साथ निभायें.

जहाँ सभी कुछ हरा-भरा हो,
जहाँ सभी कुछ खरा-खरा हो.
जहाँ न कोई नफ़रत जाने,
जहाँ दिलों में प्यार भरा हो.
जहाँ प्रेम की घिरें घटायें.
जहाँ प्रेम की बहें हवायें.
चलो वहाँ तक साथ निभायें.

जहाँ न पनपे कभी निराशा,
जहाँ रहे आशा ही आशा.
जहाँ पाप का नाम नहीं हो,
जहाँ पुण्य की हो अभिलाषा.
जहाँ सभी जन स्नेह लुटायें.
जहाँ सभी की मिलें दुआयें.
चलो वहाँ तक साथ निभायें.

डॉ. कमलेश द्विवेदी
मो.09415474674