तेरे आने से मन चहकने लगे।
तेरे आने से मन चहकने लगे।
हो न ऐसा कि तू बहकने लगे।
नाम की तेरे चुड़ियाँ पहनू
हो न ऐसा कि ये सरकने लगे।
बन के बिन्दिया तू सजे माथे पर
हो न ऐसा कि ये उखड़ने लगे।
राह देखू मैं सज के दर्पण में
हो न ऐसा कि ये दरकने लगे।
तेरी आहट से दिल धड़कता है
हो न ऐसा कि मन फ़िसलने लगे
मन के मन्दिर में,रुद्र ,बसता है
हो न ऐसा कि हम तड़पने लगे।
©रमेश कुमार सिंह ‘रुद्र’
२७-०४-२०१७