कविता - वक्त दिया है वक्त ने
बेशक!
हमें,
विषाद दिया है वक्त ने,
परंतु हर्ष भी दिया है वक्त ने।
हार दिया है वक्त ने,
परंतु विजय भी दिया है वक्त ने।
भ्रमित किया है वक्त ने,
परंतु दिशा भी दिया है वक्त ने।
निराशा दिया है वक्त ने,
और अभिलाषा भी दिया है वक्त ने।
अज्ञानी भी बनाया है वक्त ने,
परंतु ज्ञानी भी बनाया है वक्त ने।
क्षीण बनाया है वक्त ने,
परंतु शक्तिमान भी बनाया है वक्त ने।
विरह दिया है वक्त ने,
परंतु दुसह भी दिया है वक्त ने।
घाव भी दिया है वक्त ने,
परंतु मरहम भी दिया है वक्त ने।
आखिर क्यों दोष दूं मैं वक्त को?
ये तो वहीं सच्चा साथी है कि,
प्रत्येक वक्त, वक्त दिया है वक्त ने।
— रामेश्वर मिश्र ‘निरासु’