गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : ज़िन्दगी

दौड़ आएगी पुकारो, ज़िन्दगी
राह में तेरी हज़ारों, ज़िन्दगी!

ख़्वाब मेरे आसमां पर जा बसे
अब उन्हें नीचे उतारो, ज़िन्दगी!

आईने सी साफ है ये मान लो
अब ज़रा-सी तुम संवारो,ज़िन्दगी!

दर्द है ये औ’ खुशी जैसी भी है,
जैसी है हंसकर गुज़ारो, ज़िन्दगी!

इश्क हो या दोस्ती के नाम पर,
तुमपे है, जीतो कि हारो, ज़िन्दगी!

लौटकर आएगा ‘जय’ फिर से यहां
रास्ता उसका निहारो ज़िन्दगी!

जयकृष्ण चांडक ‘जय’
हरदा म प्र

*जयकृष्ण चाँडक 'जय'

हरदा म. प्र. से