हमारी असलियत
काश्मीर का हाल जानकार ।
हम निंदा और कड़ी कर देंगें ॥
इससे अधिक क़ि आस न करना ।
वरना हम सत्ता खो देंगें॥
यदि जवान को थप्पड़ पड़ते ।
वेतन तो हम देते हैं ।
हमारी गाय को मार कर देखो ,
बदला कैसे लेते हैं ॥
लाहौर लेकर क्या करेंगे ,
काश्मीर ही भारी है ।
नागरिकों का सब्र देखने की ।
अब हमारी बारी है ॥
सबको सपना दिखाया हमने
लुभावना भीना भीना ।
सैनिकों के पीछे छुपकर ,
दिखाते हम ५६ का सीना ॥
पहले थे उड़ाते कबूतर ,
अब मंदिर बनवाएंगे ।
काश्मीर के मुद्दे को ।
जोर शोर से उठाएंगें ॥
इसी इसी में, कट जाएंगे सालों साल ।
तब तक शासन करके ,
हम हो जायेंगे मालामाल ॥