शिशुगीत

शिशुगीत

  1. लाठी

दादाजी की साथिन लाठी
रहे नहीं उनके बिन लाठी
पीकर तेल बनी बलशाली
मुझको लगती हाथिन लाठी

2. टोपी

रंग-बिरंगी आयी टोपी
मेरे मन को भायी टोपी
खुद को आईने में देखे
जिसने यहाँ लगायी टोपी

3. बस्ता

मेरा बस्ता प्यारा-प्यारा
बोझ सम्हाले कितना सारा
इसपर जो कार्टून बना है
वो तो मुझको और दुलारा

4. पेंट

रंग उड़ा है कब से सारा
लगता ज्यों भूतों ने मारा
पापा इसपर पेंट कराओ
दरवाजा ये अपना प्यारा

5. टिफिन बॉक्स

टिफिन बॉक्स मैं ले जाता हूँ
जमकर फिर खाना खाता हूँ
मुझको ताकत मिलती पूरी
पढ़ने में अव्वल आता हूँ

*कुमार गौरव अजीतेन्दु

शिक्षा - स्नातक, कार्यक्षेत्र - स्वतंत्र लेखन, साहित्य लिखने-पढने में रुचि, एक एकल हाइकु संकलन "मुक्त उड़ान", चार संयुक्त कविता संकलन "पावनी, त्रिसुगंधि, काव्यशाला व काव्यसुगंध" तथा एक संयुक्त लघुकथा संकलन "सृजन सागर" प्रकाशित, इसके अलावा नियमित रूप से विभिन्न प्रिंट और अंतरजाल पत्र-पत्रिकाओंपर रचनाओं का प्रकाशन