आइसक्रीम वाले
सुनो भैया आइसक्रीम वाले
रोज क्यो नही बेचने आते
इस भीषण गर्मी को मैं
कैसे सहता हूं मै ही जानूं
मेरी गर्मी की छुट्टी हुई
पर लगता तुम चले गये
अपनी छुट्टी मनाने
सुबह शाम इंतजार करते
पर तुम कही नही दिखते
रूठ गये हो बच्चो से
या फिर लू लगने से
पड़ गये हो तुम बिमार
रूठे होगे तो मान जाना
यदि पड़े हो बिमार तो
जल्दी से ठीक हो जाओ
लेकिन मेरा एक विनती
तुम कभी न भूलना
जैसे सबकुछ ठीक हो जाये
झट अपने काम मे लग जाना
लेकर आइस्क्रीम मेरे गली मे
बेचने तुम रोज ही आना ।
निवेदिता चतुर्वेदी ‘निव्या’