जीवन के आपा धापी में
जीवन के आपा धापी में
भूल गये सब रिश्ते नाते
खो कर सबसे मेल मिलाप
हो गये अपने मे व्यस्त
बढती गयी दूरियां सबसे
संगी साथी से भी बिगड़ते गये
छूट गये वो प्रेम कब का
नही रहा अब उसका आस्तित्व
सब यादों मे रहे संजोए
याद करके खूब रूलाये
किस मोड़ पर ला दी जिंदगी
कितनी थोप दी है जिम्मेवारी
नही निकल पाती इन सब से
समय बिताने के लिये अपनो से
रोज रात को सपने सजाती
मिठे मिठे ख्वाब देखती
मिलूंगी सुबह संगी साथी से
करूंगी बाते अपने दिलो की
सुबह होते ही भूल जाती
घर के काम काजो में
हो गयी कुछ व्यस्त सी जिंदगी
इस जीवन के आपा धापी में ।
निवेदिता चतुर्वेदी ‘निव्या ‘