जिंदगी
*जिंदगी* के
*शायद किसी मोड़ पर*
तुम्हें मेरे होने का
अहसास होगा
अल्फाज जो मेरे लिए
कहे तुमने
पछतावा भी तुम्हें होगा
मेरे आँखों की नमी
तुम्हारी आँखों से बारिश भी होगी
जिम्मेदारियों को निभाते
मौसम कब बदल जाते है
ये तुम जब समझोगे
तब धरती और आकाश को
कोई न मिला पायेगा
*शायद किसी मोड़ पर*
सन्नाटे को चीरती आवाज आयेगी
कि देखा है धरती को जीते हुये ।।*
संयोगिता शर्मा*
सेंट लुईस