कविता

जिंदगी

*जिंदगी* के
*शायद किसी मोड़ पर*
तुम्हें मेरे होने का
अहसास होगा
अल्फाज जो मेरे लिए
कहे तुमने
पछतावा भी तुम्हें होगा
मेरे आँखों की नमी
तुम्हारी आँखों से बारिश भी होगी
जिम्मेदारियों को निभाते
मौसम कब बदल जाते है
ये तुम जब समझोगे
तब धरती और आकाश को
कोई न मिला पायेगा
*शायद किसी मोड़ पर*
सन्नाटे को चीरती आवाज आयेगी
कि देखा है धरती को जीते हुये ।।*

संयोगिता शर्मा*

सेंट लुईस

 

संयोगिता शर्मा

जन्म स्थान- अलीगढ (उत्तर प्रदेश) शिक्षा- राजस्थान में(हिन्दी साहित्य में एम .ए) वर्तमान में इलाहाबाद में निवास रूचि- नये और पुराने गाने सुनना, साहित्यिक कथाएं पढना और साहित्यिक शहर इलाहाबाद में रहते हुए लेखन की शुरुआत करना।