ग़ज़ल
उसी माँ की दुआओं से हमारा हर भला होगा …..
के जिस आँचल में हर औलाद का, सपना पला होगा …..
सुकूं मिलता नहीं है, दीन दुनिया में कभी उसको …..
के जिस औलाद की हरक़त से, माँ का दिल दुखा होगा …..
बहुत ही खूबसूरत ज़िंदगी, माँ संग गुज़री है …..
जिगर का ख़ून का रिश्ता, कभी कैसे जुदा होगा …..
कभी वो बद दुआ करती नहीं, औलाद को अपनी …..
हमेशा माँ के होंठों पर, फ़क़्त हर्फ़े दुआ होगा …..
सुनो माँ की खुशी में है, खुदा की हर खुशी शामिल …..
के जब नाराज़ होगी माँ, खुदा फिर तब ख़फ़ा होगा …..
खुशी अपनी हरेक क़ुर्बान कर दी, माँ की खुशियों पर …..
यही कुछ सोच कर ‘रश्मि’, के हक़ माँ का अदा होगा …..
— रवि रश्मि ‘अनुभूति’