बढ़े हर कदम ने तेरे, मुझे हर पल सँवारा है उसी ने ही सुनो प्यारा, नसीब ये सुधारा है बहारों के नज़ारे सुन सदा ही तो रहे भाते समय कितना मिला जो साथ मिल हमने गुज़ारा है बने हम तो हुये है एक – दूजे के लिए ही हम उधर तुमने इधर से तो, हमीं […]
Author: रवि रश्मि 'अनुभूति'
ग़ज़ल
दी हुई इस भंग से अब , कैसे में खुद को बचाऊँ आज देख तरंग से अब , कैसे मै खुद को बचाऊँ आज खेलूँ देख होली , शोर कितना अब मचा है रोगन मिले रंग से अब , कैसे मैं खुद को बचाऊँ इश्क़ रंगों से किया है, आज डर लगता इन्हीं से आज […]
ग़ज़ल
चाँद को देख मैं मुस्कुराता रहूँ तब खिली चाँदनी में नहाता रहूँ देखते – देखते सज गया बाग ही रोज़ ही मैं यहाँ देख आता रहूँ तू सितारे दिखाती रहे रात भर देख नगमे तभी गुनगुनाता रहूँ डूब जा प्यार में तू अभी सिर तलक आज खुद को तभी मैं भिगाता रहूँ हो बहकता कदम […]
ग़ज़ल
चला रवि रथ बढ़ा यह ही नया अवसर मुबारक हो मुबारक हो मुबारक हो, नया वत्सर मुबारक हो चहचहाते हुये पंछी भले लगते सभी को ही हवा चलती हिले पत्ते यही सर -सर मुबारक हो भ्रमर की गूँज गुँजाती बाग को देखो लुभाती है सुनो तो आज फूलों की बिछी चादर मुबारक हो तितलियाँ प्यार […]
ग़ज़ल
आज भेद कोई न खुलने दो यारो किसी भी तरह दिल न जलने दो यारो चले दूर मंज़िल अभी तो पानी ही न रोको मुझे प्यार पलने दो यारो बड़ी ख़ुशबू आ रही है फूलों से न तोड़ो इन्हें अब महकने दो यारो नशा मौसमी तो अभी कुछ ऐसा है कदम दर कदम तो बहकने […]
ग़ज़ल
अभी इश्क़ ये नया – नया है, अभी सुनो झुक पलक रही है अभी नशीले लगे नज़ारे, लबों से मय ही छलक रही है अभी रहेगी चिलमन यूँ ही, इसे हटाओ नहीं सुनो तुम चली हवा कुछ इसी तरह से, कि सिर से चूनर सरक रही है भरी हुई दिल पली मुहब्बत, चढ़ी ख़ुमारी दिवानगी […]
ग़ज़ल
मुहब्बत से भरी बातें, यही दिल जानता गिला – शिकवा सभी करना, यही तो ठानता सब है कभी बर्बाद हो जायें, नहीं करते गिला हम तो निभाना मौत से कब है, यही तो धारणा सब है सही राहों चले फिर भी, ज़माना बीच आता है हमें कब है निबट जाना, हमें तो ये पता सब […]
ग़ज़ल
देख वह आज ध्यान देता है प्यार सम्मान देख देता है बंधनों में रखे नहीं मुझको मुक्त वह तो उड़ान देता है सोच सच ही रहे सदा वजनी झूठ ही वह बयान देता है चुभ रहे शूल पाँव तो ज़ख़्मी दर्द कुछ बेज़ुबान देता है रोज़ रक्षा करे उसे तो वह आज ऊँची मचान देता […]
ग़ज़ल
वही पास आना अभी चाहते हैं कहा यह मिली अब उन्हें राहतें हैं चले राह में तो लगे ये कठिन ही लगी आग ही हर जगह जानते हैं उड़ाना मज़ाक अब फ़ितरत सभी की कहो कौन पीर सुन जो बाँटते हैं न दे कोई साथ किसी कभी भी जड़ें दूसरों की सभी काटते हैं चले […]
ग़ज़ल
सुनो सौभाग्य की यह बात हमने सुनायी अब किसी को चाँद है भाया किसी को रात भायी है बड़ी ही ये अनूठी रात सबको ही लुभाती सुन गुनगुनाते सितारों की बजे आज शहनाई है खिली अब रातरानी फैलती ख़ुशबू महकती ज्यों हवा ही ये उड़ा के अब कहीं से देख लाई है निकल कर चाँदनी […]