कुण्डलिया छंद
सुन्दर काया कनक सी, नयन चलाते वाण
हिरनी सी मोहक चपल, हो कैसे कल्याण
हो कैसे कल्याण, हृदय घायल किये आज
हुए सभी कंगाल, पड़ा बंद सारा काज
पायल जब छम बजे, होए मूर्च्छित दुरन्दर
कंगणा की खनखन, छवि चाँद से भी सुन्दर
— कामनी गुप्ता
जम्मू !