।। प्रथम मिलन।।
फुर्सत में…….गीत लिखूँगा,
पर अपनी ही प्रीत लिखूंगा।
एक रोज जो दिया अचानक,
आज वही संगीत लिखूँगा।।1।।
एकदम से जीवन में आना,
सिखलाना एक नया तराना।
जिम्मेदार बनाया पल में,
फिरता था जो मैं मनमाना।।2।।
सीने से लग कर रोई थी,
मेरी मति उस पल खोई थी।
अपनी गलती ढूंढ रहा था,
तू सहज मिलन नैनन रोई थी।।3।।
हैरत उस पल मुझको भारी,
रोई थी जब मन कर भारी।
यही बात पूछा बीते दिन,
बोली प्रीत गई न सम्हारी।।4।।
— प्रदीप कुमार तिवारी