कविता

टूट कर

टूट कर बिखरना तो आइनों की फितरत है मेरे यार,
बस तुम्हारी दुआओं की कशिश मुझे बिखरने नहीं देती।
कब तक ये टुकड़े इस सीने के सहेज कर रखूँ,
मौत सामने है पर जिंदगी मुझे मरने नहीं देती।
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इतना तो रहम कर मुझ पर ऐ दिलबर
तू मेरा यूं दिल दुखाना छोड़ दे।
और इतना भी नही होता तुझसे मेरे सनम,
तो एहसान कर और मुस्कुराना छोड़ दे।

विनोद दवे

नाम = विनोदकुमारदवे परिचय = एक कविता संग्रह 'अच्छे दिनों के इंतज़ार में' सृजनलोक प्रकाशन से प्रकाशित। अध्यापन के क्षेत्र में कार्यरत। विनोद कुमार दवे 206 बड़ी ब्रह्मपुरी मुकाम पोस्ट=भाटून्द तहसील =बाली जिला= पाली राजस्थान 306707 मोबाइल=9166280718 ईमेल = [email protected]