कदम हम न रखते
गर पता होता, इतनी मुश्किल डगर है
मुहब्बत की राह में, कदम हम न रखते !
उलझने हैं ज्यादा, सकूं इसमें कम है
पता इसका होता, इस राह न गुजरते !
उन्हीं की शिकायत, जब उनसे हैं करते
गुनहगार फिर वो, हमीं को है धरते !
पता होता सकूं- चैन खो देंगे दोनों
कभी भी कदम हम न रखते !
अंजु गुप्ता