एक बार तो बताओ !
अब आरजू बस मेरी तबस्सुम के साथ आओ।
दिल को किया विस्मिल अब ना मुझे तड़पाओ।
आश्नाइ में क्या हुई खता दी तूने रुसवाईयां,
पलकों पर पल भर समय देकर चली जाओ।
जिन्दगी में तेरे शिवा अब है ना कोई मकसद
तुम्हारे साथ रहने की आरजू है ऐसे ना जाओ।
घायल करके मेरे दिल को बेफिक्र होकर,
मुझे तनहाई में छोड़कर इस तरह ना जाओ।
रुसवाईयां देकर मुझे ऐसे क्यों जा रही हो,
शिकायत क्या है मुझसे एक बार तो बताओ।
©रमेश कुमार सिंह ‘रुद्र’/ ०८-०१-२०१७