प्रीत की डोरी में बधकर छोरी
प्रीत की डोरी में बधकर छोरी,
घुम घुम करके गीत सुनावै।
मटकी लिए पनघट पर जाकर,
तालाब से पानी भर कर लावै।
स्नेह का जल जल में मिलाकर
सबके उपर बुन्द-बुन्द बरसावै।
मोहिनी का रुप धारण करके
सबके मन को वो यहाँ लुभावै॥
प्रेम के पथ पर चलकर छोरी
सबको प्रेम की बात बतावै।
प्रेममार्ग दुनिया में है अच्छा
यही बात से अवगत करावै।
प्रीत लगाकर प्रेम ना बरसाया
कभी जीवन में ना सफल हो पावै
प्रेमहि परिवार प्रेमहि साथी है
संसार है प्रेम से सबको सुझावै॥
प्रीत लगाकर मन को लुभाकर,
उमंग सबके दिल में बरसावै।
खुशियों की बारात यहाँ लाकर
सबके दिलों पर गुलाल उड़ावै।
परियों की रानी बनकर यहाँ पर
सबको नृत्य की कला सिखावै।
रीत-प्रीत का संगम करके
प्रेम की दुनिया यहाँ पर बसावै॥
@रमेश कुमार सिंह ‘रुद्र’
कान्हपुर, कर्मनाशा , कैमूर
१२-०१-२०१७