पिरामिड
आ
रही
तुम्हारी
यादें मुझे
बहुत ज्यादा
तूँ कब आओगी
इन्तजार है मुझे ॥१॥
ये
यादें
मुझको
कबतक
आती रहेगी
आँखें बन्द कर
सपनों में तुम्हारी ॥२॥
©रमेश कुमार सिंह ‘रुद्र’
आ
रही
तुम्हारी
यादें मुझे
बहुत ज्यादा
तूँ कब आओगी
इन्तजार है मुझे ॥१॥
ये
यादें
मुझको
कबतक
आती रहेगी
आँखें बन्द कर
सपनों में तुम्हारी ॥२॥
©रमेश कुमार सिंह ‘रुद्र’