कविता

हेप्पी मदर्स डे कहना

सूनसान कंटीली झाड़ी में
गूँज उठी थी जो चित्कार ।
तेरे हृदय तक पहुँच सकी ना
मेरी दर्द भरी वो पुकार ।
हाय! विवशता थी ये मेरी,
वज्र हृदय का वार था सहना ।
मिले गर कहीं मेरी माँ तो,
हेप्पी मदर्स डे उसको कहना ।
नौ माह तक कोख में रखकर,
पल भर में नाता तोड़ा ।
जाने किस मजबूरी में या
निज इच्छा से था छोड़ा ।
फिर भी दुआ करूँगी रब से,
जहाँ कहीं हो खुश ही रहना ।
मिले गर कहीं मेरी माँ तो,
हेप्पी मदर्स डे उसको कहना ।
मेरी दशा पर दया दिखाने
कई पराये आगे आये ।
मेरी नजरे ढूंढ रही थी
बस तेरी ममता के साये ।
बोझ नहीं होती है सुन ले,
बेटी है जीवन का गहना ।
मिले गर कहीं मेरी माँ तो,
हेप्पी मदर्स डे उसको कहना ।

नीतू शर्मा 'मधुजा'

नाम-नीतू शर्मा पिता-श्यामसुन्दर शर्मा जन्म दिनांक- 02-07-1992 शिक्षा-एम ए संस्कृत, बी एड. स्थान-जैतारण (पाली) राजस्थान संपर्क- [email protected]