गुरु-भजन
सेवा-सिमरन-सत्संग की शुभ राह मुझे दिखलादे 6.3.14
जीव नहीं मैं ब्रह्म-स्वरूप हूं यों रहना सिखलादे
गुरुवर जय हो तेरी, गुरुवर जय हो तेरी(2)-
1.जैसे पंक से पंकज हो पंकज पर बूंद टिके ना
वैसे ही संसार में रह मेरा मन किसी मोल बिके ना
गुरुवर जय हो तेरी, गुरुवर जय हो तेरी(2)-
2.ऐसी कोई युक्ति बता चंचलता बाकी रहे ना
पीते रहें हरि-प्रेम-जाम चाहे कोई साकी रहे ना
गुरुवर जय हो तेरी, गुरुवर जय हो तेरी(2)-
3.हानि-लाभ जीना-मरना यश-अपयश आने-जाने
ऐसी कृपा करना गुरुवर सुख-दुख एक-सा मानें
गुरुवर जय हो तेरी, गुरुवर जय हो तेरी(2)-
4.हमको तो बस तेरा ही है गुरुवर एक सहारा
तुमको हमसे लाख मिलेंगे छूटे न हाथ तुम्हारा
गुरुवर जय हो तेरी, गुरुवर जय हो तेरी(2)-
(तर्ज़-विनय सुनो हे स्वामी सबका जीवनधन सरसाओ———–)