ब्यंग लेकिन सत्य
जज – तूने भारत तेरे टुकड़े होंगे का नारा लगाया था ?
कैदी – हां
जज – तुमने पकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाया था ?
कैदी – हां
जज – तुमने भारत का झंडा जलाया था ?
कैदी – हां
जज – तुमने पकिस्तान का झंडा लहराया था ?
कैदी – हां
जज – तुमने ऐसा क्यों किया , तुम्हे पता है इसकी सजा क्या है ?
कैदी – जी हां , मैंने ऐसा बहुत सोच समझ के किया है / क्यों किया – इसके पहले मै गुमनाम इंसान था , छोटी छोटी चीजो के लिए तरसता था लेकिन जब से ऐसा किया हु माननीयो की श्रेणी में आ गया हु , राष्ट्रिय पार्टियो के बड़े बड़े नेता मुझसे मिलने के लिए बेचैन है , उनके दिन भर फोन आ रहे है , कोई न कोई रोज सुबह शाम मिलने आता है / मेरे विचारधारा पर अच्छे अच्छे राजनैतिक विश्लेषक मंथन कर रहे है / मुझ पर प्रिंट मिडिया में अग्रलेख लिखे जा रहे है ,टी वी चैनलों पर मेरे ऊपर बहस चल रही है / कल मै छोटी मोती नौकरी के लिए परेशान था , आज ! बड़ी बड़ी पार्टियों से विधायकी सांसदी चुनाव लड़ने के आफर आ रहे है / मेरे खाते में पता नहीं कहा से करोडो रूपये आ गए है /
जज – लेकिन यह राष्ट्रद्रोह है , तुम पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चल सकता है !
कैदी – मै अकेले नहीं हु जज साहब ! मै तो सिर्फ नारा लगाया हु , राजनीतिज्ञों ने ऐसा करके दिखा दिया है / कोई देश बाँट दिया तो कोई सेना पर ही सवाल पैदा कर दिया , कोई कश्मीर को पाकिस्तान हिस्सा बताता है तो कोई कश्मीर को भारत के हिस्से से गायब दिखता है / अगर वे लोग राष्ट्रद्रोही नहीं हुए तो हम कैसे हो जायेगे ? फिर भी अगर सजा हुई तो मुझे अपने न्यायालय पर पूरा भरोसा है , वह मेरे मरने के बाद ही होगा उससे पहले हम विधायक सांसद या मंत्री बन चुके होंगे / देश के खातिर मै अपना भविष्य नहीं बिगाडुगा /