कविता

ख़त बाबुल के नाम

पीहर को मैं लिख रही, यद्यपि हूँ ससुराल .
खुशियाँ हर पल मिल रहीं, सुखी रहूँ हर हाल .
मेंहदी, कँगना, चूड़ियों, की है यह ही आन .
सदा रखूँगी संग मैं, निज सतीत्व का मान .
बाबुल मेरे, है वचन, रक्खूँगी मैं लाज .
कभी न होगा कोय भी, मर्यादा बिन काज .
हे माँ . यह संकल्प है, वचन निभाऊँ सात .
कभी न होगी, नेह बिन, तिमिर घिरी कोय रात .
पी के सँग, हर क्षण रहूँ, छाया बनकर नित्य .
शील, नम्रता, धैर्य से , बिखरेगा लालित्य .
आप सभी की याद है, पर सबके आदर्श .
देंगे हर पल अब मुझे, जीवन में उत्कर्ष .
बेटी का यह ख़त प्रथम, स्वीकारें हे तात .
कलम, स्याही की ” शरद”, भेज रही सौगात .

प्रो.शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल[email protected]