दोहे : पर्यावरण
सही नहीं पर्यावरण, भारत में प्रभु आज।
जंगल कटते जा रहें, नहि आयें सब बाज।
नही बढाना है अगर, जनमानस की पीर।
शुद्ध करो पर्यावरण, शुद्ध करो अब नीर।
पौधों का रोपण करो, तभी बने संसार।
सही रहे पर्यावरण, इसका करो विचार।
जन जन पर्यावरण के, सदा चलें अनुरूप।
सही समय पर तब मिले, सर्दी वर्षा धूप।
धरती का पर्यावरण, जीवन का आधार।
इसको मत समझो कभी, तुम अपना आहार।
मिलकर पर्यावरण का, ध्यान रखें सब लोग।
इसको रक्षित गर करें, क्यों फैलेंगे रोग।
— शोभित तिवारी “शोभित”