पर्यावरण
वातानुकूलित कमरे में बैठे-बैठे
बोतलबंद पानी का घूँट भरकर
उसने कहा यार बोरियत हो रही है
चलो एक-एक सिगरेट जलाएँ
और थोड़ी गंभीरता से सोचें
कि पर्यावरण कैसे बचाएँ
पैदल जा सकने वाली जगह भी
हमें तो लंबी सी गाड़ी से जाना है
घर के खाने से ऊब सी होती है
आज बाहर से डिब्बाबंद मंगाना है
कविता लिखते-लिखते गला सूख गया
चलो कोई ठंडा पेय पी कर आएँ
और थोड़ी गंभीरता से सोचें
कि पर्यावरण कैसे बचाएँ
नित नए-नए उद्योग लगाकर
क्लोरो-फ्लोरो कार्बन पैदा करते हैं
धरती का सीना हो या ओज़ोन की परत
दोनों में हर रोज़ छेद करते हैं
इन सब के साथ थोड़ा सा
सामाजिक सरोकार भी दिखाएँ
और थोड़ी गंभीरता से सोचें
कि पर्यावरण कैसे बचाएँ
यूँ ही वातावरण को दूषित कर
आने वाली पीढ़ियों को बे-मौत न मारो
हे विश्व के महान पर्यावरणवादियो
पहले खुद सुधरो फिर औरों को सुधारो
बातों से कुछ नहीं होने वाला
बंद करो ये व्यर्थ की चर्चाएँ
और अपनी जीवनशैली बदलकर
आओ सब मिलकर पर्यावरण बचाएँ
आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।