वृंदा दादी
गांव में सभी ओर खुशी की लहर थी। सभी लड़कियों के धैर्य और साहस की तारीफ कर रहे थे। आज उनका संघर्ष सफल हुआ था। लेकिन इस संघर्ष की अगुवाई करने वाली थीं साठ साल की वृंदा दादी।
टीवी पत्रकार ने वृंदा दादी से सवाल किया “आपको इस जीत पर कैसा लग रहा है?”
चेहरे पर मुस्कान और आँखों में चमक के साथ दादी ने जवाब दिया “बहुत खुशी हुई। पहले गांव का स्कूल आठवीं तक ही था। आगे की पढ़ाई के लिए दूसरे गांव जाना पड़ता था। बहुत सी लड़कियां आगे नहीं पढ़ पाती थीं। अब स्कूल दसवीं तक हो गया है। आगे बारहवीं के लिए लड़ेंगे।”
“पर आप स्वयं पढ़ी लिखी नहीं हैं।”
“तभी शिक्षा का महत्व समझती हूँ। हमारे समय में किसी ने साथ नहीं दिया। इसलिए हमने इन लड़कियों का साथ दिया।”