घोसला बुना जाये
आज तिनकों को फिर चुना जाये
और फिर घोसला बुना जाये
छोड़ कर क्यों गया मुझे पंछी
सोच कर के शजर घुना जाये
आप की आँख हो रही है नम
आप से क्या कहा सुना जाये
ज़िन्दगी काँप रही काश इसे
इश्क़ की धूप गुनगुना जाये
महफ़िलें दिल सजा के बैठे फिर
जान पाज़ेब रुनझुना जाये