दर्द सहना अभी आया नहीं है
दर्द सहना अभी आया नहीं है
शेर कहना अभी आया नहीं है
बात ख़ुद से न अब तक हो सकी है
मौन रहना अभी आया नहीं है
गंदगी ढक रही है इस नदी को
तेज बहना अभी आया नहीं है
ताब के वास्ते तपना ज़रूरी
और दहना अभी आया नहीं है
रेत का घर नहीं फ़ौलाद हूँ मैं
ज़ल्द ढहना अभी आया नहीं है
— प्रवीण श्रीवास्तव ‘प्रसून’