मुक्तक/दोहा

दोहे

मोहन मन मोहित हुआ, लगे न दूजी ठोर ।
अब तो निरखो साँवरे, तनिक हमारी ओर ।।
हरपल बढ़ती जा रही, विरहा की ये पीर ।
विरहानल भड़का रहा, इन नैनों का नीर ।।
प्रिय तुमको देखे बिना, आवे नाही चैन ।
रोय रोय अँखियाँ दुखे, जागे सारी रैन ।।
ढूँढ़े तुमको साँवरे, मेरी अँखियाँ रोज ।
तुम बिन जीवन यूँ लगे, जैसे कोई बोझ ।।
ज्यों दिन बीते जा रहे, टूट रहा विश्वास ।
विनती सुन लो मोहना, यूँ ना तोड़ो आस ।।

नीतू शर्मा 'मधुजा'

नाम-नीतू शर्मा पिता-श्यामसुन्दर शर्मा जन्म दिनांक- 02-07-1992 शिक्षा-एम ए संस्कृत, बी एड. स्थान-जैतारण (पाली) राजस्थान संपर्क- [email protected]