तुम मुझे वोट दो , मै तुम्हे ——
सुभाष बाबु कभी कहा करते थे की तुम मुझे खून दो हम तुम्हे आजादी देंगे. लोग खून दिए भी और आजादी भी मिली , यद्यपि उसका सारा श्रेय ‘ दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल ‘ वालो ने लूट ली जब की एक आकडे के अनुसार उस संग्राम में लाखो लोगो ने अपने प्राणों की आहुति दी थी , फिर भी वह महासंग्राम अहिंसा के श्रेणी में आता है क्योकि उसमे किसी कांग्रेसी का एक बूँद खून नहीं बहा था. चूँकि अब आजादी मिल चुकी है लिहाजा नेता जी के उस नारे की अब कोई प्रासंगिकता नहीं रह गई है अब तो उस नारे की आवश्यकता है जिससे सत्ता मिले और राजनेताओं ने उस नारे का इजाद कर भी लिया है. अब नारा है तुम मुझे वोट दो मै तुम्हे आरक्षण दूंगा , देश के संसाधनों पर मुसलमानों को पहला अधिकार दूंगा , देश तोड़क अभिब्यक्ति के आजादी का अधिकार दूंगा , गौ मांस खाने की छूट दूंगा , पत्थरबाजी करने का अधिकार दूंगा , खाद्यान्न का कीमत जो सन ७० से लेकर अबतक २० गुना बढ़ गया है उसे दस गुना करूँगा और कर्मचारियों का वेतन जो १२० से ३२० गुना बढ़ा है उसे सीधे ५०० गुना कर दूंगा. बस तुम मुझे वोट दो !