गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

सियासत का बाज़ार अब गर्म हो रहा है।
चैन मेरे वतन का देखो कहीं खो रहा है।

मजहब,जाति से क्यूं तोलते इन्सान को;
कैसी मानवता का यह बीज बो रहा है।

सर्वोपरि तो मातृभूमि होती है जान लो;
जाग मानव अब कौन नींद सो रहा है।

दोहरे चरित्र से क्या जीते रहोगे तुम यूं;
सरज़मीं पे शत्रु का गुणगान हो रहा है।

रहेगा नाम अमर उन वीरों का सदा;
वतन के लिए जो यूं सर्वस्व खो रहा है।

कामनी गुप्ता***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |