कविता

कविता किसकी?

समंदर के बीच
अटखेलियां
करती कविता
सभी से दूर अकेले में

{1}एक बना रहा नाव !!
साथ पतवार
लगा रहा वक्त
उस की सजावट में
नियम और कानून के साथ
और फिर चल पड़ा लपकने
समंदर में कविता को

{2}
दूसरा भावों से
लबरेज भुजाओं के सहारे
कूद पड़ा समंदर में
सांसों पर विश्वास लिए
छूने कविता को

कौन पहुंच पाता है वहां खुदा जाने!!!!

प्रवीण माटी

नाम -प्रवीण माटी गाँव- नौरंगाबाद डाकघर-बामला,भिवानी 127021 हरियाणा मकान नं-100 9873845733