गज़ल
दर्द तेरे दिल में जगा सकता हूँ पर रहने दे,
तुझको दीवाना बना सकता हूँ पर रहने दे,
नामुमकिन नहीं है कुछ भी दीवानों के लिए,
साबित करके दिखा सकता हूँ पर रहने दे,
अपनी गज़लों में सरेआम लेकर नाम तेरा,
सारी महफिल को जला सकता हूँ पर रहने दे,
ये जो हर मोड़ पर तुम अलविदा कह देते हो,
हकीकत इसको बना सकता हूँ पर रहने दे,
मेरी तस्वीर तो कर दी तूने टुकड़े-टुकड़े,
तेरे खत मैं भी जला सकता हूँ पर रहने दे
— भरत मल्होत्रा