मुक्तक
रसीला हो बड़ा मीठा फलों का नृप कहाता है।
प्रशंसा वो करे खुलकर इसे जो व्यक्ति खाता है।
पना-आचार-चटनी-जूस औ’ फ्रूटी-अमावट भी।
जिसे जो भी लगे अच्छा वही इससे बनाता है॥
पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’
रसीला हो बड़ा मीठा फलों का नृप कहाता है।
प्रशंसा वो करे खुलकर इसे जो व्यक्ति खाता है।
पना-आचार-चटनी-जूस औ’ फ्रूटी-अमावट भी।
जिसे जो भी लगे अच्छा वही इससे बनाता है॥
पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’